तुझको चलना होगा

रात को घेर लिया है बादलों ने
चाँद को मगर निकलना होगा
तुझको चलना होगा

संघर्ष जलाकर कुंदन कर देता है
इस मोम के आगे आग को पिघलना होगा
तुझको चलना होगा

दिन को धकेलकर सूरज आगे बढ़ता है
इस शाम के आगे मगर सूरज को ढलना होगा
तुझको चलना होगा

जीवन मंथन में सुर भी हैं असुर भी
अमृतपान के लिए पहले विष निगलना होगा
तुझको चलना होगा

पियूष कौशल

मर्द

ये औरतें घूँघट वूँघट

हिजाब विज़ाब में रहे तो अच्छा है

ये लड़कियाँ ज़्यादा बोले ना

हिसाब विसाब में रहे तो अच्छा है 

ये लक्ष्मीबाई, माँ टेरेसा

किताब विताब में रहे तो अच्छा है

मर्द को ईश्वर मानो, बस मानलो क्यूँकि…

ज़्यादा ना हों सवाल जवाब तो अच्छा है

शर्म है औरत का ही गहना

क़ायम रहे ये नक़ाब तो अच्छा है

सब ठीक है

हेलो, हाँ यहाँ सब ठीक है
हाँ हाँ वो BP शुगर की दवा ले ली
ज़िन्दगी कड़वी सी हो गई है
ये कम्बख्त डॉक्टर मीठा खाने नहीं देता

तेरी मम्मी को कम सुनाई देता है अब
उसकी चुगली भी करूँ किसी से तो खिसिया के हॅंस देती है
बाहर भी कम ही जाती है, कहती है ज़माने के साथ
ये घुटने भी बदल जाते तो सहूलियत होती

ख़ैर यहाँ सब ठीक है
अपना हाल सुनाओ तुम, सुना है वहाँ जाड़ा खूब है
बर्फ चढ़ी रहती हैं लोगो पे, किसी का किसी से कोई राब्ता नहीं
बच्चे जब छोड़ जाते होंगे, तो इन बड़े घरों में
लोग क्या एक दूसरे को ढूंढ पाते होंगे
खैर मेरी उम्र हो गयी है जाने दो
वैसे यहाँ सब ठीक है…

पियूष कौशल

हम मुस्कुराएँ क्या

खुद ही खुद को आज़माएँ क्या

एक बात कहनी थी, बताएँ क्या

प्यार, मोहब्बत, वो, ख़ैर कोई बात नहीं

कहीं घर बनाएँ क्या

तुम मनाने आओगे क्या हमें

हम रूठ जाएँ क्या

एक नयी सी दरार उभर आती है हर दिन

हम टूट जाएँ क्या

रोये अगर तो सब हसेंगे हम पर

हम मुस्कुराएँ क्या

बचपन

अपन अभी छोटे हैं अपने लिए हर बात बड़ी है

कोई चिड़िया चहचहा दे कहीं

कोई अपने वाला गाना सुना दे कहीं

अपने को जहां की क्या पड़ी है

अपन अभी छोटे हैं अपने लिए हर बात बड़ी है

कभी जेब में पुराना सिक्का मिल जाए

पुरानी comics कोई अलमारी से निकल आए

छोटी छोटी बातों में बातें बड़ी है

अपन अभी छोटे हैं अपने लिए हर बात बड़ी है

दूध में जलेबी मिला दे कोई

इतवार को पराँठे खिला दे कोई

कोई खाता होगा छप्पन भोग, खाए

अपने को क्या पड़ी है

अपन अभी छोटे हैं अपने लिए हर बात बड़ी है…