आग़ाज़

गिर के फिर फिसलने का रिवाज होना चाहिए

इश्क़ के हर मर्ज़ (बीमारी) का इलाज होना चाहिए

मैं तुम से रूठता हुँ तो तुम भी रूठने लगते हो

तुम्हारा अपना भी तो कोई अन्दाज़ होना चाहिए

मोहब्बत अलग बात है और दीन अलग

राज जो कहोगे मुझसे वो राज होना चाहिए

चिंगरियाँ कभी राख होतीं हैं कभी शोला

अंजाम-ए-बग़ावत कुछ भी हो आग़ाज़ (आरम्भ) होना चाहिए

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