हम मुस्कुराएँ क्या

खुद ही खुद को आज़माएँ क्या

एक बात कहनी थी, बताएँ क्या

प्यार, मोहब्बत, वो, ख़ैर कोई बात नहीं

कहीं घर बनाएँ क्या

तुम मनाने आओगे क्या हमें

हम रूठ जाएँ क्या

एक नयी सी दरार उभर आती है हर दिन

हम टूट जाएँ क्या

रोये अगर तो सब हसेंगे हम पर

हम मुस्कुराएँ क्या

बचपन

अपन अभी छोटे हैं अपने लिए हर बात बड़ी है

कोई चिड़िया चहचहा दे कहीं

कोई अपने वाला गाना सुना दे कहीं

अपने को जहां की क्या पड़ी है

अपन अभी छोटे हैं अपने लिए हर बात बड़ी है

कभी जेब में पुराना सिक्का मिल जाए

पुरानी comics कोई अलमारी से निकल आए

छोटी छोटी बातों में बातें बड़ी है

अपन अभी छोटे हैं अपने लिए हर बात बड़ी है

दूध में जलेबी मिला दे कोई

इतवार को पराँठे खिला दे कोई

कोई खाता होगा छप्पन भोग, खाए

अपने को क्या पड़ी है

अपन अभी छोटे हैं अपने लिए हर बात बड़ी है…

यारों

देखने दिखाने का ज़माना है यारों

खुद को खुश दिखाना है यारों

हर दिन बाज़ार में आती है इक नयी ख़ुशी

हर दिन नया क़र्ज़ चुकाना है यारों

जो कल आज से पीछे था, अब आगे है

सबको सबसे आगे जाना है यारों

ज़ोर आज़माइश अब खुद ही से है

खुद ही को आज़माना है यारों

मरहम

हर नए ज़ख़्म का मरहम

पुरानी दवाओं में ढूँढो

हर आँधी के सितम

झोंको में, हवाओं में ढूँढो

कुछ चीज़ें दिल से ढूँढने पर ही मिलती हैं

ज़रूरी नहीं हर चीज़ निगाहों से ढूँढो

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