महफ़िलें रोशन हैं शहर भर
दिलों में है तहख़ाने अब भी
संभलना फ़ितरत नहीं मेरी पर
लोग आये हैं मुझे बहकाने अब भी
मैं वो दरिया हूँ जो प्यासा भी है
मेरी तलाश में है वीराने अब भी
नींद में भी एक खटका सा रहता है
एक ग़ज़ल रहती है मेरे सिरहाने अब भी
महफ़िलें रोशन हैं शहर भर
दिलों में है तहख़ाने अब भी
संभलना फ़ितरत नहीं मेरी पर
लोग आये हैं मुझे बहकाने अब भी
मैं वो दरिया हूँ जो प्यासा भी है
मेरी तलाश में है वीराने अब भी
नींद में भी एक खटका सा रहता है
एक ग़ज़ल रहती है मेरे सिरहाने अब भी