पसंद नही आती तुम्हें अब नादानियाँ मेरी
अपने बड़प्पन की कोई दवा तो करो
कई बस्तियाँ वीरान की है इस छोटे दीये ने
आज़मा लो, ज़रा तुम हवा तो करो
पसंद नही आती तुम्हें अब नादानियाँ मेरी
अपने बड़प्पन की कोई दवा तो करो
कई बस्तियाँ वीरान की है इस छोटे दीये ने
आज़मा लो, ज़रा तुम हवा तो करो