करवटें लेती रातों के
ख्वाहिशों भरे फासले
समय से छूटे हुए चाहत के
ज़हमतों के वो फासले
ओट लेती सलवटों के
गुनगुनाते हुए फासले
जुबां पे लड़खड़ाते हुए प्यार के
इकरार के वो फासले
चाँद के और चांदनी के
रौशनी भरे वो फासले
वो उल्फत के धुओं में
दिल जलाते हुए फासले
नहाकर पाक लफ़्ज़ों में
इल्म-ऐ-जेहन के वो फासले
सिमट के होटों पे
सिहरती सांस के वो फासले
ज़िन्दगी के परवान पर
कभी न ख़त्म होते फासले
तेरे और मेरे और
हमारे वो फासले
वो फासले…