ठहरा जो पानी आंखों में
लोग पत्थरों से दिल बहलाएंगे
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मुलाकात
कुछ ऐसे शय और मात हो गई
इक रोज़ उनसे जो मुलाकात हो गई
ग़म
इन बारिशों से जब बेज़ार हुआ दिल
मेरी आँखें सूख गयी
और ख़ामोशी बोलने लगी मुझसे
मेरे ग़म का हाल
ये जो ग़म है मेरा
बहुत परेशान है
कुछ समय से बस
चलता ही जा रहा है
थक गया है ये ख़ुशी
की बाट तकते तकते
आँखों के नीर सा
नमकीन हो गया है
ख़ुशी गयी है कहीं परदेस
किसी परदेसी के मुस्कराहट में कैद
वक़्त के तस्सवुर में जैसे
किसी पहले मौसम का प्यार हो गयी है
धुप के अंचल में
इकतरफा समां गया ग़म
पुराने सामान सी
हालत हो गयी है
उसकी बेबसी देख मैं रोया, फिर मुस्कुराया
किसी पागल सी कैफियत हो गयी है