तेरे ख्वाब महकते रहे रात भर
मुझे फूल किताबों में मिलते रहे रात भर
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पर्दा
वक़्त के साथ हथेली पर चढ़ गया है एक सफ़ेद पर्दा
दिन रात खुद से आंखें बचाकर इस पर उंगलियां घुमाता हूँ
मानो कोई जादू ही है, ये रहा शर्मा और वो अख्तर…
मिलाता सबसे है पर मिलने किसी से नहीं देता
वो जो किस्से कहानियां होती थी हर शाम सुनने सुनाने को
आजकल बड़ी जल्दी में रहती है, टाइम लाइन से होकर बड़ी तपाक से गुजर जाती है
बुआ, चाचा, मामा सब यहीं हैं इन हाथों में – ऐंठे से मुस्कुराते अपनी फोटो से
यादें मगर कुछ गमगीन नज़र आती हैं
इस सफ़ेद परदे की काली करतूतें रंगीन नज़र आती हैं
पियूष कौशल
दोस्त
अभी गरीब हुं इसलिए दोस्त हैं मेरे
अमीर होता तो रिश्तेदार होते़़़
पियुष कौशल
वाह रे उपरवाले
पंडित पादरी मौलवी कर रहे धर्म प्रचार
चोर लूटेरे सेवक हैं, नेता पहरेदार
सब जेबें भरन लगे, नोट भयो भरमार
वाह रे उपरवाले तेरी महिमा अपरम पार
पियूष कौशल
कहानी
आज आँखों से बह गयी वो कहानी
जिसे कुछ सदियों से छुपाये हुए था
यूँ कौनसी शाम गुज़री उस रात की गोद मे
रो पड़ा वो ज़ख्म जिसे बरसों से बहलाये हुए था
अब हर सुबह लगती है वो ख्वाब की जिसमे
चाँद सूरज को गले लगाए हुए था
उसकी आँखों से बहती थी बहुत ग़ज़लें
शायद किसी शायर से दिल लगाए हुए था
कतरा क़तरा
कतरा क़तरा मेरे ठन्डे अश्क,
कतरा क़तरा तेरी बहकी चाहत
कतरा क़तरा मेरी उलझी आहें,
कतरा क़तरा तेरी सांस की आहट
कतरा क़तरा तेरे जिस्म की खुशबू,
क़तरा क़तरा मेरे रूह के हिस्से
कतरा क़तरा मेरे लहू की रंजिश,
क़तरा क़तरा तेरे प्यार के किस्से
कतरा क़तरा तेरी यादों का मंजर,
कतरा क़तरा मेरे कफ़न से रिश्ते
कतरा क़तरा मेरे पिघलते सपने,
क़तरा क़तरा इस मौत की किश्तें
अक्स
तेरी आँखों में दिखता है
मुझे अक्स अपना
किसी खामोश सागर सा
बैठा है किनारे पे
ये जो सुरमा लगा है
उस मैं कैद है काफ़िर इक
कभी आंसुओं से सूख जाता है
और कभी यादों में भीग जाता है
रातों में जो कभी देखूं
तो इक रौशनी दिखाई देती है
इन आँखों ने ही तो जैसे
सूरज को वो चमक उधार दी है
पलकों की खिड़की से
जब भी झांकता हूँ बाहिर
दिखती है मुझको अपनी
इक तस्वीर पुरानी, मैली सी
इस तस्वीर में ज़िंदा हूँ मैं
और ज़िंदा है इस अक्स की कहानी
कुछ उसकी ज़ुबानी
कुछ मेरी ज़ुबानी
It’s Just!
It’s just I wanted to think,
Just like, I never write
It’s just that sky is so dull,
Or else the sun is too bright
It’s just I wanted to scream,
I want to start a new fight
It’s just I’m always wrong,
You think you’re always right
It’s just that day never ends,
Maybe he’s late for the night
It’s just that love is so blind,
It’s never out of the sight
It’s just that white is so black,
It makes the black so white,
It’s just my thoughts are so loose,
Like broken strings of a kite
Some Words
The trees want to whisper,
and leaves dance in the isles
The breeze trickles them
It seems they are all drunk
The road’s too long,
and the journey unknown
A gang of clouds kidnap the sun,
I’m not sure who’s the one
The moments gather here,
all of them
They hymn a lullaby,
a newborn moment falls asleep
What lyrics they were,
i don’t know
A haphazard song,
the one with me and you in it
The smell of dew,
still afresh
The mist of hopes,
thickened with expectations
This road seems to go nowhere,
the dreams chose to stay still
Aimless i wander,
in this world so unknown
I live by this moment,
of peace and serenity
A tear in my eye,
the taste of which is sweet
The sun pays its ransom,
the clouds let it free
Some words that i write
some words that i breathe
A Moonlit Night
It’s a moonlit night
The stars sewn in a necklace
Yawning with their mouth open
Spilling the lights around
I spread my arms on the chair
Wanting to hug the warm night
The darkness of sky that I inhale
Lights up a corner of my soul
Somewhere, down there
there’s a mystifying silence
That echoes like ripples in the water
And spreads like the shadow of my dreams
The moon is blank, yet full of visions
I pick each vision and untie the knot
They look familiar, as if always were a part of me
There are some I wrap, to cherish later
My eyes pull the curtain,
And my nerves are smoothened
I see a moonlit night
The stars sewn in a necklace