A Poet's Mind
Poetry by Piyush Kaushal
फंसे हुए है लोथड़े कई ख्वाबो के गले में जिन्दगी के मुंह से अब आवाज नही निकलती
तेरी आंखों से जो बह गई होगी फिर वो गज़ल हो गई होगी