तेरी आंखों से जो बह गई होगी
फिर वो गज़ल हो गई होगी
Category: मेरी कुछ कवितायेँ
चलते चलो
चमकीले सपने लेकर सोता हूं पलकों पर
रात कितनी भी अंधेरी हो दिल लगा रहता है
रात
कल मैंने चांद से खुरच खुरच कर रात सफेद की
फिर नजर आए कुछ पन्ने
बुकमार्क कर के भुल गया था शायद, आगे बढ़ा नहीं
आसमान आंखें फ़ाडे तकता रहा, मैं रात घोल कर पी गया
पियुष कौशल
इज़हार
ज़मीं से चांद का फासला
मेरे दिल से तेरे लब तक
पियुष कौशल
आज कुछ और करते है
अंधेरे सोने नहीं देते, उजाले शोर करते हैं
बांध के रखो शाम की दिलकशी, आज कुछ और करते है
शख्स
दिल कांच का लेकर, किस किस से तुम टकराओगे
इससे उससे खुद से, किस किस से नजर चुराओगे
वो खुशमिजाज शख्स आईने वाला, गम का दरिया है
नजर मिली तो डुब के मर जाओगे
पियुष कौशल
पानी
ठहरा जो पानी आंखों में
लोग पत्थरों से दिल बहलाएंगे
मुलाकात
कुछ ऐसे शय और मात हो गई
इक रोज़ उनसे जो मुलाकात हो गई
शेर
पहला मिसरा जिन्दगी, दूसरा तुम
ये शेर मुकम्मल है…
गैट लोस्ट
“गैट लोस्ट” कहा उसने मुझे
खो जाने का भी एक अलग ही मजा है…
पियूष कौशल