खुद ही खुद को आज़माएँ क्या
एक बात कहनी थी, बताएँ क्या
प्यार, मोहब्बत, वो, ख़ैर कोई बात नहीं
कहीं घर बनाएँ क्या
तुम मनाने आओगे क्या हमें
हम रूठ जाएँ क्या
एक नयी सी दरार उभर आती है हर दिन
हम टूट जाएँ क्या
रोये अगर तो सब हसेंगे हम पर
हम मुस्कुराएँ क्या