कल मैंने चांद से खुरच खुरच कर रात सफेद की
फिर नजर आए कुछ पन्ने
बुकमार्क कर के भुल गया था शायद, आगे बढ़ा नहीं
आसमान आंखें फ़ाडे तकता रहा, मैं रात घोल कर पी गया
पियुष कौशल
कल मैंने चांद से खुरच खुरच कर रात सफेद की
फिर नजर आए कुछ पन्ने
बुकमार्क कर के भुल गया था शायद, आगे बढ़ा नहीं
आसमान आंखें फ़ाडे तकता रहा, मैं रात घोल कर पी गया
पियुष कौशल