मुझे उम्र का नशा हुआ है
की कुछ याद नहीं रहता अब
बिन पिए कदम डगमगाते हैं
बच्चो से कुछ मांगना हो
तो ज़बान लड़खड़ाती है
मुझे उम्र का नशा हुआ है
इसी उम्र के नशे में कभी
मैं कुछ अपने भिगो आया था
नई ख्वाहिशों की होड़ में
पुराने हाथ छुड़ा कर भागा था
अब घर जाओ तो लोग
बड़ी लानत से तकते हैं
मुझे उम्र का नशा हुआ है