इन बारिशों से जब बेज़ार हुआ दिल
मेरी आँखें सूख गयी
और ख़ामोशी बोलने लगी मुझसे
मेरे ग़म का हाल
ये जो ग़म है मेरा
बहुत परेशान है
कुछ समय से बस
चलता ही जा रहा है
थक गया है ये ख़ुशी
की बाट तकते तकते
आँखों के नीर सा
नमकीन हो गया है
ख़ुशी गयी है कहीं परदेस
किसी परदेसी के मुस्कराहट में कैद
वक़्त के तस्सवुर में जैसे
किसी पहले मौसम का प्यार हो गयी है
धुप के अंचल में
इकतरफा समां गया ग़म
पुराने सामान सी
हालत हो गयी है
उसकी बेबसी देख मैं रोया, फिर मुस्कुराया
किसी पागल सी कैफियत हो गयी है
Nice
Sent from my iPad
Thanks 🙂
“Khushi gayi hai kahin pardes
Kisi pardesi ke muskuraahat mein kaid
Waqt ke tassavur me jaise
Kisi pehle mausam ka pyaar ho gayi hai”
Khubsurat…
Thanks Priyamavada 🙂
Kya Nazm bani hai…thodi aur gehrai Laiye bas…ap ache shayar ban sakte hain..
Khurshid
SHukriya Khurshid sahab, koshish karunga thoda aur gehra jaane ki 🙂