कतरा क़तरा

कतरा क़तरा मेरे ठन्डे अश्क,
कतरा क़तरा तेरी बहकी चाहत

कतरा क़तरा मेरी उलझी आहें,
कतरा क़तरा तेरी सांस की आहट

कतरा क़तरा तेरे जिस्म की खुशबू,
क़तरा क़तरा मेरे रूह के हिस्से

कतरा क़तरा मेरे लहू की रंजिश,
क़तरा क़तरा तेरे प्यार के किस्से

कतरा क़तरा तेरी यादों का मंजर,
कतरा क़तरा मेरे कफ़न से रिश्ते

कतरा क़तरा मेरे पिघलते सपने,
क़तरा क़तरा इस मौत की किश्तें

 

अक्स

तेरी आँखों में दिखता है
मुझे अक्स अपना
किसी खामोश सागर सा
बैठा है किनारे पे

ये जो सुरमा लगा है
उस मैं कैद है काफ़िर इक
कभी आंसुओं से सूख जाता है
और कभी यादों में भीग जाता है

रातों में जो कभी देखूं
तो इक रौशनी दिखाई देती है
इन आँखों ने ही तो जैसे
सूरज को वो चमक उधार दी है

पलकों की खिड़की से
जब भी झांकता हूँ बाहिर
दिखती है मुझको अपनी
इक तस्वीर पुरानी, मैली सी

इस तस्वीर में ज़िंदा हूँ मैं
और ज़िंदा है इस अक्स की कहानी
कुछ उसकी ज़ुबानी
कुछ मेरी ज़ुबानी

रुख…

चिंगारियों की भीड़ मैं इक शोला उठा
किसी अधूरे गीत सी अंगड़ाई ली
और बेखुदी की ताल में बोला
चलो हवाओं के रुख बदलते हैं

आग बनने की आग दिल में
अपने पीले लहू में रंग भरने चला

चिंगारियां बोली, शोला है तो भड़केगा
थोड़ा जलेगा, और बुझ जायेगा

शोला कुछ कहते-कहते रुक गया
वापिस मुड़ा और जलने लगा

व्यूह रच कर अपने मन में
अग्नि मंथन को चला

चिंगारियों को छेड़कर
वो शोलों को भेदता

अपने आप से लड़ता वो कभी
कभी दर्द को नकारता

चोट खाया अधमरा सा
धुंधली सी मंज़िल के आईने को पोंछकर

अपनी आग को ज़िंदा रखता रहा
उस आग की चाह में

कहीं लौ उठी उम्मीद की
इक लपट बनी, प्रचंड हुई

वो चिंगारियां अब राख थी
ये शोला अब इक आग था

गाना

First try at song lyrics…. kripya bhawnaon pe dhyan dijiye 😛

Enjoy!!

गूंजती लहर में
ये जो सांस की कशिश है

रेशमी सुबह की
ये जो नरम सी तपिश है

दूरियों का पर्दा
मेरी नब्ज़ अब भी काम है

होश है ये रुखसत
है ये प्यार या भरम है

मोम सा पिघलता
कहीं रेत सा फिसलता

ईमान बेईमान मेरा
चोर से क्या कम है

सुन बारिशें हैं नीली
मेरा दिल भी बेशरम है

प्यास बरसे ज़्यादा
ये पानी अब भी कम है

तू पास मेरे आई
कभी दूरियां बढ़ाएं

ओ यार तेरा प्यार
किसी क़त्ल से क्या कम है

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